यह श्रद्धालुओ ने शिगिंऋषि धाम सिहावा पर्वत में स्थित महानदी उदगम (कुंड ) से जल लेकर जंगलों और पहाड़ियों के कठिन मार्गों को पार करते हुए नगर भ्रमण कर पश्चात गोबरहीन में स्थित शिवालय पहुंचे। इस दौरान “बोल बम” के जयकारों से पूरा नगर गूंज उठा और शिवभक्ति की अलौकिक छटा देखने को मिली। यह परंपरा विगत कई वर्षों से लगातार निभाई जा रही है। हर वर्ष श्रावण मास में श्रद्धालु सिहावा पर्वत से जल लेकर नंगे पांव कठिन यात्रा करते हुए गोबरहीन गड़धनोरा पहुंचते हैं और यहां स्थित शंकर भगवान की विशालकाय शिवलिंग में जलाभिषेक करते हैं।
कठिन रास्ते, अपार श्रद्धा
कांवरयात्री आनिंदलाल यादव ने बताया कि यह यात्रा आसान नहीं होती, कांवरियों को जंगलों से होते हुए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। रास्ते में वर्षा, कीचड़, पथरीले रास्ते और अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन शिव की आराधना और मन में बसे श्रद्धा भाव से सभी कांवरिया अपनी थकान और पीड़ा को भुलाकर यात्रा पूरी करते हैं।
नगर भ्रमण में उमड़ा जनसैलाब

कांवरियों के नगर में प्रवेश के समय लोगों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया। कई स्थानों पर जलपान और विश्राम की व्यवस्था स्थानीय नागरिकों एवं समिति सदस्यों द्वारा की गई थी। नगरवासियों ने कांवरियों की सेवा को पुण्य का कार्य मानते हुए श्रद्धा से सहभागी बने।शिवभक्ति से सराबोर रहा माहौलशंकर भगवान की विशालकाय शिवलिंग में जलाभिषेक के दौरान कांवरियों ने भजन-कीर्तन और हर-हर महादेव के जयकारों के साथ शिव का आह्वान किया।
पूरा माहौल शिवमय हो गया।
श्रद्धालुओं ने अपनी कामनाओं की पूर्ति और परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। इस अवसर पर समिति के अन्य सदस्यों सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, श्रद्धालु एवं जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। श्रद्धा, समर्पण और सामाजिक सहयोग की मिसाल बनी यह यात्रा नगर में भक्ति, एकता और परंपरा की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करती है।
