Friday, September 26, 2025

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ग्राम पिटीसपाल के शितला माता मंदिर में हुआ साफ सफाई

फरसगांव/हरवेल ~ कमलेश कुमार मरकाम कि रिपोर्ट

कोंडागांव जिले के केशकाल अनुविभाग अन्तर्गत विकासखण्ड बड़ेराजपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत तितरवंड के आश्रित ग्राम पिटीसपाल जुना पारा में स्थित मां शितला माता मंदिर परिसर में ग्रामीणों और युवाओं के द्वारा साफ सफाई किया गया । आपको बता दें कि शारदीय नवरात्रि आश्विन मास में आयोजित होने वाला हिंदू पर्व है जो देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है, इस कारण यह अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। इन नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा और व्रत किया जाता है, जिसका समापन विजय दशमी (दशहरा) पर होता है। यह शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु की शुरुआत में पड़ती है और इसे हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व दिया गया है, जहाँ लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए कलश स्थापना कर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। शारदीय नवरात्रि का महत्व:बुराई पर अच्छाई की जीत:यह देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध की याद दिलाता है, और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। देवी का आगमन:ऐसी मान्यता है कि इसी दौरान देवी माँ धरती पर आती हैं, और उनके आने की खुशी में यह उत्सव मनाया जाता है। मौसम के परिवर्तन:यह पर्व शरद ऋतु के आगमन के साथ शुरू होता है, जब दिन छोटे होने लगते हैं और मौसम में परिवर्तन होता है। व्रत और अनुष्ठान:लोग नौ दिनों तक माँ के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, और सुख-समृद्धि के लिए कलश स्थापना करते हैं। आगामी दिनों में शारदीय नवरात्रि पर होने को है। और सभी जगह साफ सफाई किया जा रहा है इसीतरह जुनापारा, नयापारा में भी तैयारी जोर शोर के साथ तैयारी शुरू कर दी गई है | जिसमें बिकराय नेताम, लालसाय, जगबंधु नेताम, सियाराम, कोमल और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे

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ग्राम पिटीसपाल के शितला माता मंदिर में हुआ साफ सफाई

फरसगांव/हरवेल ~ कमलेश कुमार मरकाम कि रिपोर्ट

कोंडागांव जिले के केशकाल अनुविभाग अन्तर्गत विकासखण्ड बड़ेराजपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत तितरवंड के आश्रित ग्राम पिटीसपाल जुना पारा में स्थित मां शितला माता मंदिर परिसर में ग्रामीणों और युवाओं के द्वारा साफ सफाई किया गया । आपको बता दें कि शारदीय नवरात्रि आश्विन मास में आयोजित होने वाला हिंदू पर्व है जो देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है, इस कारण यह अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। इन नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा और व्रत किया जाता है, जिसका समापन विजय दशमी (दशहरा) पर होता है। यह शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु की शुरुआत में पड़ती है और इसे हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व दिया गया है, जहाँ लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए कलश स्थापना कर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। शारदीय नवरात्रि का महत्व:बुराई पर अच्छाई की जीत:यह देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध की याद दिलाता है, और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। देवी का आगमन:ऐसी मान्यता है कि इसी दौरान देवी माँ धरती पर आती हैं, और उनके आने की खुशी में यह उत्सव मनाया जाता है। मौसम के परिवर्तन:यह पर्व शरद ऋतु के आगमन के साथ शुरू होता है, जब दिन छोटे होने लगते हैं और मौसम में परिवर्तन होता है। व्रत और अनुष्ठान:लोग नौ दिनों तक माँ के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, और सुख-समृद्धि के लिए कलश स्थापना करते हैं। आगामी दिनों में शारदीय नवरात्रि पर होने को है। और सभी जगह साफ सफाई किया जा रहा है इसीतरह जुनापारा, नयापारा में भी तैयारी जोर शोर के साथ तैयारी शुरू कर दी गई है | जिसमें बिकराय नेताम, लालसाय, जगबंधु नेताम, सियाराम, कोमल और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे

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