Friday, September 26, 2025

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ग्राम पाटला के शितला माता मंदिर में आगामी 22 सितम्बर से शारदेय नवरात्र को लेकर किया गया साफ सफाई।

कोंडागांव फरसगांव
कोंडागांव जिले के फरसगांव अनुविभाग अन्तर्गत विकासखण्ड फरसगांव अंतर्गत ग्राम पंचायत चिचाड़ी के आश्रित ग्राम पाटला में स्थित मां शितला माता मंदिर परिसर में ग्रामीणों और युवाओं के द्वारा साफ सफाई किया गया ।

शारदीय नवरात्रि आश्विन मास में आयोजित होने वाला हिंदू पर्व है जो देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है, इस कारण यह अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। इन नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा और व्रत किया जाता है, जिसका समापन विजय दशमी (दशहरा) पर होता है। यह शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु की शुरुआत में पड़ती है और इसे हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व दिया गया है, जहाँ लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए कलश स्थापना कर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

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शारदीय नवरात्रि का महत्व:
बुराई पर अच्छाई की जीत:
यह देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध की याद दिलाता है, और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
देवी का आगमन:
ऐसी मान्यता है कि इसी दौरान देवी माँ धरती पर आती हैं, और उनके आने की खुशी में यह उत्सव मनाया जाता है।
मौसम के परिवर्तन:
यह पर्व शरद ऋतु के आगमन के साथ शुरू होता है, जब दिन छोटे होने लगते हैं और मौसम में परिवर्तन होता है।
व्रत और अनुष्ठान:
लोग नौ दिनों तक माँ के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, और सुख-समृद्धि के लिए कलश स्थापना करते हैं।
आगामी दिनों में शारदीय नवरात्रि पर होने को है। और सभी जगह साफ सफाई किया जा रहा है इसी
तरह पाटला फरसगांव के शीतला माता मंदिर वा जगह जगह दुर्गा पंडालों में भी तैयारी जोर शोर के साथ तैयारी शुरू कर दी गई है | जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे

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ग्राम पाटला के शितला माता मंदिर में आगामी 22 सितम्बर से शारदेय नवरात्र को लेकर किया गया साफ सफाई।

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कोंडागांव जिले के फरसगांव अनुविभाग अन्तर्गत विकासखण्ड फरसगांव अंतर्गत ग्राम पंचायत चिचाड़ी के आश्रित ग्राम पाटला में स्थित मां शितला माता मंदिर परिसर में ग्रामीणों और युवाओं के द्वारा साफ सफाई किया गया ।

शारदीय नवरात्रि आश्विन मास में आयोजित होने वाला हिंदू पर्व है जो देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है, इस कारण यह अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। इन नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा और व्रत किया जाता है, जिसका समापन विजय दशमी (दशहरा) पर होता है। यह शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु की शुरुआत में पड़ती है और इसे हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व दिया गया है, जहाँ लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए कलश स्थापना कर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

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शारदीय नवरात्रि का महत्व:
बुराई पर अच्छाई की जीत:
यह देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध की याद दिलाता है, और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
देवी का आगमन:
ऐसी मान्यता है कि इसी दौरान देवी माँ धरती पर आती हैं, और उनके आने की खुशी में यह उत्सव मनाया जाता है।
मौसम के परिवर्तन:
यह पर्व शरद ऋतु के आगमन के साथ शुरू होता है, जब दिन छोटे होने लगते हैं और मौसम में परिवर्तन होता है।
व्रत और अनुष्ठान:
लोग नौ दिनों तक माँ के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, और सुख-समृद्धि के लिए कलश स्थापना करते हैं।
आगामी दिनों में शारदीय नवरात्रि पर होने को है। और सभी जगह साफ सफाई किया जा रहा है इसी
तरह पाटला फरसगांव के शीतला माता मंदिर वा जगह जगह दुर्गा पंडालों में भी तैयारी जोर शोर के साथ तैयारी शुरू कर दी गई है | जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे

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