Friday, September 26, 2025

National

spot_img

गरीब महिला मजदूर को मिला नया जीवन, लेप्रोस्कोपिक पद्धति से हुआ किडनी का सफल ऑपरेशन, कोंडागांव जिला अस्पताल ने रचा इतिहास।

कोंडागांव,

संघर्षों से जूझती एक मजदूर महिला के जीवन में कोण्डागांव जिला अस्पताल आशा की किरण बनकर सामने आया। यहां पहली बार लेप्रोस्कोपिक पद्धति से किडनी का सफल ऑपरेशन किया गया। यह उपलब्धि चिकित्सा इतिहास में दर्ज हो गई और पीड़ित महिला सावित्री कोर्राम के जीवन को संजीवनी मिल गई।

बाजारपारा निवासी सावित्री कोर्राम (35) के पति स्व. दिनेश कोर्राम का निधन कुछ वर्ष पहले हो चुका है। इसके बाद सावित्री अपने चार छोटे बच्चों की परवरिश के लिए लोगों के घरों में झाड़ू–पोछा और बर्तन साफ करने का काम करने लगीं। परिवार की जिम्मेदारियों और आर्थिक तंगी के बीच तकलीफ का पहाड़ तब टूटा जब लगभग दो साल पहले उन्हें किडनी की गंभीर बीमारी का पता चला।

सावित्री बताती हैं, शारीरिक पीड़ा इतनी थी कि जीना दूभर हो गया था। पैसे नहीं थे, इलाज करवाने का सहारा भी नहीं था। कई बार लगा कि अब जीवन यहीं खत्म हो जाएगा। लेकिन जिला अस्पताल ने मुझे नया जीवन दिया। आयुष्मान कार्ड की मदद से मेरा इलाज मुफ्त में हुआ। अब मैं अपने बच्चों को देखकर फिर जीने का साहस पा रही हू।

विशाखापटनम और रायपुर एम्स में इलाज संभव था, लेकिन लंबी वेटिंग और खर्च के बोझ के कारण वहां इलाज कराना असंभव था। मजबूरी में सावित्री ने कोण्डागांव जिला अस्पताल से संपर्क किया। यहां डॉक्टर एस. नागुलन और उनकी टीम ने जांच कर पुष्टि की कि एक किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी है और उसे निकालना आवश्यक है।

डॉ. एस. नागुलन ने बताया – सावित्री मजदूर तबके की महिला हैं, जिन्हें ऑपरेशन के बाद संक्रमण का खतरा अधिक था। सामान्य ऑपरेशन में बड़ा चीरा लगाया जाता है, जिससे रिकवरी में समय लगता और संक्रमण का खतरा भी बना रहता। इस स्थिति को देखते हुए हमने लेप्रोस्कोपिक पद्धति से ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। इस पद्धति में छोटे–छोटे छेद करके कैमरे और उपकरणों की मदद से खराब किडनी को निकाला जाता है। इससे मरीज जल्दी स्वस्थ होता है और संक्रमण का खतरा भी बेहद कम रहता है। यह कोण्डागांव जिले के चिकित्सा इतिहास में पहली बार हुआ है।

4 सितंबर को जिला अस्पताल में यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सावित्री तेजी से स्वस्थ हो रही हैं और अपने बच्चों के लिए फिर से उम्मीद के साथ जीवन जीने लगी हैं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि में डॉक्टर शैलेश, डॉक्टर अनिल देवांगन, डॉक्टर कृष्णा मरकाम, ओटी हेड नर्स स्वप्नलेखा, स्टाफ नर्स हेमंत मंडावी, संजना जैन, रामेश्वरी, अर्चना, साधना, रीना और पूरी टीम की अहम भूमिका रही।

International

spot_img

गरीब महिला मजदूर को मिला नया जीवन, लेप्रोस्कोपिक पद्धति से हुआ किडनी का सफल ऑपरेशन, कोंडागांव जिला अस्पताल ने रचा इतिहास।

कोंडागांव,

संघर्षों से जूझती एक मजदूर महिला के जीवन में कोण्डागांव जिला अस्पताल आशा की किरण बनकर सामने आया। यहां पहली बार लेप्रोस्कोपिक पद्धति से किडनी का सफल ऑपरेशन किया गया। यह उपलब्धि चिकित्सा इतिहास में दर्ज हो गई और पीड़ित महिला सावित्री कोर्राम के जीवन को संजीवनी मिल गई।

बाजारपारा निवासी सावित्री कोर्राम (35) के पति स्व. दिनेश कोर्राम का निधन कुछ वर्ष पहले हो चुका है। इसके बाद सावित्री अपने चार छोटे बच्चों की परवरिश के लिए लोगों के घरों में झाड़ू–पोछा और बर्तन साफ करने का काम करने लगीं। परिवार की जिम्मेदारियों और आर्थिक तंगी के बीच तकलीफ का पहाड़ तब टूटा जब लगभग दो साल पहले उन्हें किडनी की गंभीर बीमारी का पता चला।

सावित्री बताती हैं, शारीरिक पीड़ा इतनी थी कि जीना दूभर हो गया था। पैसे नहीं थे, इलाज करवाने का सहारा भी नहीं था। कई बार लगा कि अब जीवन यहीं खत्म हो जाएगा। लेकिन जिला अस्पताल ने मुझे नया जीवन दिया। आयुष्मान कार्ड की मदद से मेरा इलाज मुफ्त में हुआ। अब मैं अपने बच्चों को देखकर फिर जीने का साहस पा रही हू।

विशाखापटनम और रायपुर एम्स में इलाज संभव था, लेकिन लंबी वेटिंग और खर्च के बोझ के कारण वहां इलाज कराना असंभव था। मजबूरी में सावित्री ने कोण्डागांव जिला अस्पताल से संपर्क किया। यहां डॉक्टर एस. नागुलन और उनकी टीम ने जांच कर पुष्टि की कि एक किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी है और उसे निकालना आवश्यक है।

डॉ. एस. नागुलन ने बताया – सावित्री मजदूर तबके की महिला हैं, जिन्हें ऑपरेशन के बाद संक्रमण का खतरा अधिक था। सामान्य ऑपरेशन में बड़ा चीरा लगाया जाता है, जिससे रिकवरी में समय लगता और संक्रमण का खतरा भी बना रहता। इस स्थिति को देखते हुए हमने लेप्रोस्कोपिक पद्धति से ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। इस पद्धति में छोटे–छोटे छेद करके कैमरे और उपकरणों की मदद से खराब किडनी को निकाला जाता है। इससे मरीज जल्दी स्वस्थ होता है और संक्रमण का खतरा भी बेहद कम रहता है। यह कोण्डागांव जिले के चिकित्सा इतिहास में पहली बार हुआ है।

4 सितंबर को जिला अस्पताल में यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सावित्री तेजी से स्वस्थ हो रही हैं और अपने बच्चों के लिए फिर से उम्मीद के साथ जीवन जीने लगी हैं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि में डॉक्टर शैलेश, डॉक्टर अनिल देवांगन, डॉक्टर कृष्णा मरकाम, ओटी हेड नर्स स्वप्नलेखा, स्टाफ नर्स हेमंत मंडावी, संजना जैन, रामेश्वरी, अर्चना, साधना, रीना और पूरी टीम की अहम भूमिका रही।

National

spot_img

International

spot_img
RELATED ARTICLES